Friday, September 20, 2013


में , दिलीप कुमार और "लीलावती" का कमरा !!!!!? 

(एक काल्पनिक इंटरव्यू )
(कथा बीज:-जितू .वढवाणा) 

मुझे जब पता चलाकी "दिलीप कुमार"को फिरसे लीलावती अस्पताल में भरती किया गया है,
तो मुझसे रहा न गया,
क्युकी उसी दोरान में भी मुंबई ही था !!!
सोचा चलो मिलके तबियत पुछ लेंगे और एक छोटा-मोटा इंटरव्यूभी होजाएंगा !!!!?
मेरे अन्दर एक "पत्रकारकी" आत्मा जो है !!!
मेतो चला लीलावती अस्पताल ,
डॉक्टर से लेके सायराबानू तककी परमिशन लेली और ,
में दाखिल हुआ "दिलीपसाब"के कमरे के अंदर ,
डोर की आवाज़ सुननेकी तो ताकत खोचुके "दिलिपसाब",ने मुझे कमरे में दाखल होते देख लिया,
थोड़ी देर तो मेरे सामने चुप-चाप देखते रहे !!!!
मुझे लगाकी "दिलीपसाब" मुझे अपनी कोई प्रिय हिरोइन तो नहीं समज रहे ?
जो लगातार चुप चाप मुझे देखते रहे है,
में कुछ ज्यादा समजू उससे पहेले "दिलीपसाब" खुद बोले ……,
"अरे… कोन.….? कोन हो .…भाई" ?
वही मृदु आवाज़ …,वही मासूम अंदाज़ …,
मेतो दंग रहे गया !!!!?
सोचा, खुदाने उनको खूबसूरती के साथ-साथ क्या खूब स्टाइल बक्शी है …, लाज़वाब !!!!
आजभी आप उनको देखोंगे तो आपको "दिलीप साब" के अन्दर एक भोला भला बच्चा जरुर दिखेंगा ,
कमरे में उसी दोरान कोई नहीं था,
बहार सबको पता था की "दिलीपसाब"का एक चाहने वाला पत्रकार उनको मिलने आया है,
कमरेके अन्दर में, दिलीप साब और थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन छोटीसी "खामोसी" !!!!
खामोसी अपने प्यारे कलाकार/अदाकार को पहेलिबार मिलनेकी,उनकी अदाओकी याद की,
ज्वारभाटा के पहेले सीन से लेके सौदागर के,
फेमस दय्लोग तक सारा मंज़र नज्रRKE सामने से एक पल में गुजर गया !!!!!!!
और साथ में "अमिताभ" से लेके आजकी पीढ़ी के "खाली पिली" फेम "शहीद कपूर" तक के हीरो,
जो उनकी (दिलीप साब)की नक़ल करने वालो कीभी,
एक ज़लक आखोके सामने से गुजर गई !!!!
मेरा पाव जब उनके पलंग के साथ टकराया तब मुझे पता चलाकी में खुद सपनेमे खोचुका था !!!
मेरा ध्यान दिलीप साब के उपर पड़ा ,
वो भी मुझे ही देख रहे थे और मुह से पूछे सवाल "कोन हो भाई"
का जवाब अब आँखों से पूछ रहे थे !!!!??
मेने उनको नमस्कार किया ,
और मेरा परिचय दिया,
कहा मेंभी आपके लाखो करोडो चाहने वालो मेसे एक हु,
पत्रकार भी हु !!!!
बोले अच्छा !!!?
"कहां के हो भाई" !!!?
मेने कहा दिलीप साब मेतो गुजरात से हु,
तो एक दमसे पलंग मे से आधे खड़े हो गए !!!
बोले,क्या…? "गुजरात के हो भाई" ??
मुझे आश्चर्य हुआ ,
मेने कहा "दिलीप साब"मुझसे कोई गलती हो गई ?
बोले, अरे ना भाई ना ,
आओ, तुम मेरे पास यहाँ पे बेठो,
में उनके पलंग के करीब रखे टेबल पे जेA कE बेठा,
बोले,कैसे हो भाई ?
"कुछ चाय-पानी ज्यूस लिया ?
कुछ खाया" ?
मेने कहा, सर, में तो आपकी खबर पूछने आया हु,
और अगर आपकी इच्छा हो तो मुझे आपका एक छोटा इंटरव्यूभी करना है,
बोले, "अरे अब हमारा इंटरव्यू क्या करोगे भाई",
"अब हमारा ज़माना कहा "?
"अगर इंटरव्यू ही करना है तो आज के DOR के कलाकारों का इंटरव्यू करो" !!!
"हम तो गुजरे ज़माने के कलाकार है" !!!
"अब तो हमारी बातेभी गुजर गई ,और अब तो हम भी गुजर जायेंगे" !!!!?
"तूम क्या पूछोगे हमसे और हम क्या जवाब देंगे तुमसे" ??
"आजकी पीढ़ीको हमारी बातो पे कहा इंटरेस्ट होगा भाई" ?
"तुम ऐसा करो चाय और जूस पी के निकलो,
हम भी थोडा आराम करले भाई"
मेने कहा "दिलीप साब" आप भारतीय फिल्म जगत के महान उन कलाकारों मेसे एक हो जिसकी नक़ल आज की पीढ़ीभी करती रही है,
आपका अंदाज़ आज भी लोग भूले नहीं है,
आपको लोग परदेके उपर देखने के लिअ ,
दूर दूर से थियेटरो में जाया करते थे,
क्या ज़माना था आपका,और क्या अच्छी अच्छी फिल्मे दी है आपने इस ज़माने को ,
"दिलीप साब" मेरी बाते चुप चाप सुन रहेथे,
मेरी बात पूरी होनेके बाद अपने अंदाज़ में मुस्कुराके बोले
"ठीक है, चलो कार्लो हमारा आखरी इंटरव्यू !!!!?
में तुरंत चोंका ,
पूछा आखरी इंटरव्यू ?
मतलब ??
फिर एक मासूम मुस्कुराहट करके बोले,
" हा,आखरी इंटरव्यू"
अब में उनकी (दिलीप साब)की बात का मतलब समज रहा था,
मेने कहा सर आपको आपके चाहने वालो की दुआ है आप युही जीते रहे,
नहीं करना मुझे आपका ये आखरी वाला इंटरव्यू !!!!!
मेरी और देखते देखते बोले बहोत जिद्दी है तू,
मीनाकुमारी भी ऐसी ही जिद्दी थी !!!!
मधुबाला भी !!!!
और सायरा तो आज भी ऐसी ही है !!!!
मुझे लगा अब "दिलीप साब" अपने असली अंदाज में आगये लगते है,
क्या बात है, "पल में ट्रेजेडी पल में खुश" !!!!?
शायद यही "अंदाज़" का नाम हींतो "दिलीप कुमार" है !!!!
दिलीप कुमार उर्फे "युसूफ खान साब",
मुझे कहा तुम ने अपना नाम नहीं बताया !!!
में जवाब देता उससे पहेले वो फिरसे बोले ठीक है मत बताओ,
में तुमे खुद बताता हु,
आपके गुजरात मे ही इतने बड़े बड़े कलाकार है !!!!
जो आज-कल छोटे पर्दों पे बड़े छाये रहेते है,
जिसे लोग छोटे पर्दों के "हीरो" कहे के बुलाते है,
उनका इंटरव्यू करना चाहीऐ आपको,
जो बोलनेमे भी बड़े होशियार लगते है !!!?
और अदाकारी के तो "महा बादशाह" है !!!!!!
में और मेरी पीढ़ी के अच्छे अच्छे कलाकारों के "बाप" है !!!??,
जो, कोई भी जगा पे ,
कोई मही मंच र्स अपनी कलाकारी कर शकते है,
बड़े सक्षम है वो" !!!!!?
"मामूली सिपाही बनके अब तो राजा भी वही बनेगे" !!!!?
"भाई,ये सारी बाते हमनेतो अखबारों और टीवी पे देखि,सुनी है ,
इस लिये जानते है भाई" !!!!?
"सुना है,
देश में चारो और अपनी ही बाते करवाते है ये कलाकार" !!!!?
"युवा पीढ़ी को अपना निशाना बनाये हुए है" ?
"चाह ते है की,आजकी युवा पीढ़ी उनको HI पसंद करे" !!!!?
"भाई हमारे ज़माने भी हरीफ हुआ करते थे",
"राज और देवानद" !!!?
"जिसको बहुत लोगो ने पसंद किया था",
"एक तरफ हमभी अपनि अदाओ के कारन आगे बढ़ रहे थे",
"और दूसरी और "राज" और "देव"भी अपने अपने अंदाज़ में लोगो को लुभाते चले जारहे थे",
"एक मस्ती भरा दौर था,एक मस्ती भरा ज़माना था" !!!!
"लेकिन,आज तो हीरो खुद नक्की करता है अपने चाहने वालो की संख्या !!!!!?
"खुदकी फिल्म फ्लॉप होगी ही नहीं,
हिट ही है ऐस दावाभी करते है" !!!!
में सही में खामोस था की "दिलीप साब"ने मेरी नींद उड़ा दी थी ,
कुछ समज नहीं आ रहा था !!!!
कबसे चुप रहा "लीलावती" अस्पताल का "कमरा" मनो मुझे कहे रहा था,
"इंटरव्यू लेने में आया था, उन्होंने मेरा इंटरव्यू लेलिया" !!!!!?
भाई पुराने ज़माने के "कलाकार",
कोन बच सकता है उनसे !!!!??
रUम का दरवाज़ा खुला ,
एक आदमी मेरे लिया ज्यूस लेके आया,
में ज्यूस पीके "दिलीप साब"का धन्यवाद करके,
"लीलावती" अस्पतालके कमरेसे बहार निकल गया,
और मुझे परेशां करने वाले विचारोसे भी !!!!!?
टीवी ओन कियातो न्यूज़ थी "दिलीप साब"को "लीलावती" अस्पतालसे छूट्टी दी गई,
"दिलीप साब" फिर से आराम करने लगे !!!!
में भी अपने "कोफ़ी" जग मेसे कोफ़ी निकाल के पिने लगा !!!

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